Tuesday, February 23, 2016

कांग्रेस ने 2014 लोकसभा का बिगुल बजने से पहले कई ऐसे फैसले लिए और और कई अहम फैसलों को टाल दिया जिससे आने वाली गैर-कांग्रेसी सरकार के लिए बड़ी चुनौतियां खड़ी की जा सके.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को सत्ता में दो साल पूरा होने को है. देश की जनता से बड़े-बड़े वादे कर सत्ता में आई एनडीए की इस सरकार के लिए इन दो साल के दौरान सबसे बड़ी चुनौतियां उसे कांग्रेस से विरासत में मिली है. देश की अर्थव्यवस्था को 2002-07 (यूपीए का पहला शाषन) के दौरान वैश्विक तेजी में हुए विंडफॉल मुनाफा हुआ और प्रधानंत्री मनमोहन सिंह की साफ छवि के आगे 2009 में यूपीए की सरकार ज्यादा मजबूती के साथ केन्द्र की सरकार में आई. लेकिन इस सरकार के दौरान जहां उससे उम्मीद थी कि वह आर्थिक सुधारों से जुड़े अहम फैसलों को जल्द से जल्द लेकर तेज विकास दर के लिए देश को तैयार करती. लेकिन कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया और 2014 लोकसभा का बिगुल बजने से पहले चुन-चुन कर ऐसे फैसले लिए जो आने वाली गैर-कांग्रेसी सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनती.
1. जातिगत आरक्षण
हरियाणा में जाट आरक्षण की मांग नई नहीं है. मंडल आयोग की सिफारिशों के लागू (1991) होने के बाद से ही जाटों ने केन्द्रीय ओबीसी लिस्ट में शामिल किए जाने की मांग रखी थी. राज्य में 2004 में हुए चुनावों के दौरान कांग्रेस नेता भुपिंदर सिंह हुड्डा ने जाटों को आरक्षण देने का वादा किया और सत्ता पर काबिज हुए थे. इसके बाद 2012 में इस आरक्षण देने के लिए कराए गए केन्द्र सरकार के सर्वे ने इस मांग को खारिज कर दिया था. वहीं राष्ट्रीय ओबीसी कमीशन ने भी जाटों को आरक्षण देने से साफ मना कर दिया था. इसके बावजूद मार्च 2014 (आम चुनावों से ठीक पहले) में मनमोहन सिंह सरकार ने हरियाणा समेत 9 राज्यों में जाटों को आरक्षण देने के लिए उन्हें ओबीसी लिस्ट में शामिल करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2015 में केन्द्र सरकार के इस फैसले को खारिज कर दिया. आज मौजूदा सरकार के सामने यह मांग बड़ी चुनौती बन कर खड़ी हो गई है जबकि इस मुद्दे पर वोट बैंक की राजनीति केन्द्र और राज्य में पिछली कांग्रेस सरकार की देन है.
2. बीफ बैन
देश में बीफ बन कोई नया नहीं है. देश में समय समय पर राज्य सरकारों ने बीफ पर बैन लगाया है और खासबात यह है कि यह बैन राज्यों में कांग्रेस की सरकार के समय लगाया गया है. लेकिन हाल में महाराष्ट्र और बीजेपी शाषित कुछ राज्यों में जब प्रतिबंध लगा तो इसे राष्ट्रीय मुद्दा और मुसलमानों के खिलाफ बीजेपी और आरएसएस की साजिश बताकर कांग्रेस ने विरोध किया. जबकि सच्चाई है कि महाराष्ट्र में पहली बार 1964 में कांग्रेस शाषित बीएमसी ने लगाया था. इसके बाद 1994 और 2004 में एक बार फिर कांग्रेस और एनसीपी की साझा सरकार ने यह बैन लगाया था. लेकिन जब पिछले साल एनडीए सरकार ने देश में गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाने की बात कही और महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड समेत जम्मू-कश्मीर में गौ हत्या के खिलाफ सख्त रुख अपनाया गया तो देशभर में सहिष्णुता और असहिष्णुता का मुद्दा बना दिया गया. लिहाजा, इस मुद्दे पर कांग्रेस को कुछ भी करने की छूट है लेकिन जैसे ही बीजेपी इस मामले में फैसला करती है तो उसे देशभर में मुसलमान विरोधी करार दिया जाता है.
3. लैंड बिल
भूमि अधिग्रहण बिल (लैंड बिल) भी मौजूदा एनडीए सरकार को यूपीए से विरासत में मिला है. इस बिल को तैयार करने में कांगेस सरकार ने देश में कारोबारी जरूरत के लिए खरीदे जाने वाली जमीन के लिए मुआवजे की रकम को कई गुना अधिक आंक दिया है. इससे देश में नौकरी पैदा करने वाले रोजगार के लिए भूमि अधिग्रहण करना कारोबारी तो छोड़िए खुद केन्द्र और राज्य सरकारों के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा. अब इसे कारोबारियों के पक्ष में करने के लिए मोदी सरकार को कोई ऐसा फॉर्मूला लगाना होगा कि वह किसान विरोधी भी न कहलाए और विकास के लिए पर्याप्त मात्रा में भूमि का अधिग्रहण भी कर सके. फिलहाल मोदी सरकार इस मसौदे पर किसी निर्णय पर नहीं पहुंच सकी है और यह चुनौती फी उसे कांग्रेस की यूपीए सरकार से बतौर लैंडमाइन ही मिली है.
4. जीएसटी
जीएसटी देश का सबसे महत्वपूर्ण टैक्स सुधार है. इसका प्रस्ताव मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार लेकर आई थी. लेकिन उस वक्त बीजेपी ने इसके दायरे को लेकर विरोध दर्ज करते हुए इसे पारित नहीं होने दिया. अब बीते दो साल से इसमें सुधार कर एनडीए सरकार पास करानी चाहती है लेकिन राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के कारण यह पास नहीं हो पा रहा है. इस बार विपक्ष में बैठी कांग्रेस इसमें कुछ सुधारों का हवाला देते हुए पास नहीं होने दे रही है. इस टैक्स के पास हो जाने के बाद राज्य और केन्द्र द्वारा लगाए जा रहे अलग-अलग टैक्स को एक साथ कर दिया जाएगा और इससे केन्द्र सरकार की कमाई में इजाफा होना होगा. जानकारों का मानना है कि इस टैक्स सुधार से देश की अर्थव्यवस्था में 2 फीसदी का इजाफा होने की उम्मीद है. एक बार इस टैक्स के लिए निर्धारित 1 जनवरी की समय सीमा खत्म हो चुकी है और अब केन्द्र सरकार को इसे पारित कराने के लिए कांग्रेस का समर्थन चाहिए.

Sunday, January 24, 2016

Valchers in India

Most of the Indian politician and media are like valcher....as valcher like dead bodies as the same these peoples like dead bodies. From the last week in india it seems like there are no other news/accident there is only one new that is rohith vemula suicide's no one cares for other things which are happening in India.
Recently there is a student in pune sawant rathore was murdered by three propel, sawant was also a dalit but no one is interest to coverage this news just because there is no political mileage because he was murdered by 3 Muslim...Few weeks before a reporter ask Mr Arvind Kejriwal what are his view on rites in malda Mr kejriwal replied him that he is the CM of delhi so please ask those question those are related to delhi not other states now Mr Kejriwal why you are taking to much interest in this accident.

Friday, January 22, 2016

My incredible india.........

Welcome to the 21st century India where terror has no religion but communal violence and intolerance has a religion i.e. Hinduism.‪#‎intoleranceinindia‬
Suicide has caste.
Only Dalits commit suicide for being harassed but rest commit suicide for fun. ‪#‎RohitVamula‬'s ‪#‎suicide‬
Gaza is in India and Kashmir is on Mars.
Bull sport is animal cruelty but slaughtering cows is freedom to eat‪#‎MyChoice‬.
Malda does not exist on earth but bangladeshi are Indians.
Hinduism is communal and Islam is Secular. Kashmiri Pandits are not human beings, hence no question of human rights...

A suicide of a student Rohit Vamula

There are hundreds of people do suicide on daily basis but no one cares why they are committing suicide but there is a student Rohit Vamula commit suicide every politician is talking and getting too worried for this accident just because there is suspect for suicide is a politician. And thanks to our digital media they are running this news like that is no news is left in India. I am not saying that Union Minister Bandaru Dattatreya is not guilty might be he is not nether I am saying that whatever is happened is a normal or ignorable accident, police have to take action that person behind the accident either he/she is a common man or a politician. India is a democratic country and every person have a right to say or talk on every topic or accident but we have to think there are many other issue also out there we should talk about them.

Monday, January 18, 2016

My Personal View On how successful odd even rule in Delhi

My Personal View On how successful odd even rule in Delhi

Today is the last day of odd even rule in delhi and every supporter or member of AAP are busy in celebration for successful odd even rule. AAP says that the pollution has been reduced….. I am 100% agree with AAP pollution has been reduced but not with the odd even rule. There were more one rule were applied on 1st Jan 2016 like diesel car will be ban those are register in 2015, less production of electricity by Rajghat, Badarpur coal plants and ban trucks because there are 42% of pollution in delhi with these major causes. Now I came to the point that how odd even is not success for reducing pollution in delhi.
 A friend on Facebook commented how happy she was with the recent odd-even plan that allowed her a hassle-free car ride to the workplace. Apart from one’s pleasant experience, the question worth asking is whether the AAP government achieved the objective – that of rationalization of vehicles.
With the advent of the New Year, Delhi just got a whiff of one-of-its-kind pollution policy measure. The move may be well-intentioned, but whether it was backed by substantive thought is a pertinent question to ask.
The Delhi Statistical Handbook 2014-15, a report by the Directorate of Economics and Statistics, Delhi Government, reveals there are 88.27 lakh registered vehicles in Delhi as on 31 March 2015. Four-wheelers that include cars, jeeps and taxis constitute 32.51% of the total vehicles registered with the Transport Department of Delhi.
Interestingly, two-wheelers far outnumber four-wheelers, making up around 64% (nearly double the number of four-wheelers) of the vehicles plying on Delhi roads.

Now come to the point there are almost 27 lakh four wheelers are on road in delhi. Now come on the exemption made by AAP for this rule, these are the exemptions that Women drivers, CNG cars, two-wheelers and VIP vehicles emergency vehicles will not be the part of odd even rule that means almost 21 lakhs vehicles will not be the part of this rule. Now think that this rule is applicable on 6 lakhs only. 6 lakhs in 90 lakhs this is like a bucket of water from the ocean. I am not saying that this rule is not successful but it is not successful as how APP is presenting it. It a long term rule but there will also be side effects of this rule. According to NGT (National Green Tribunal) that people those are able to afford to another car they will buy another car that means whatever vision has been seen by AAP for reducing pollution will increase the pollution as well as the number of the cars and after that traffic problem will also rase.